Saraswati Mata ki Aarti : सरस्वती माता (saraswati mata) को ज्ञान, संगीत, कला, बुद्धि और शिक्षा की देवी माना जाता है। वह हिंदू देवी-देवताओं में एक है जो कि छात्रों और विद्वानों द्वारा समान रूप से पूजनीय हैं। देवी सरस्वती कि पूजा करने से ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
माँ सरस्वती जी की आरती के बारे में
हिन्दू धर्म में सरस्वती को पूजनीय माना गया है और उन्हें ज्ञान, बुद्धि, संगीत और कला की देवी कहा गया है। जिस वजह से माता सरस्वती की प्रतिदिन पूजा की जाती है। माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आरती सबसे अच्छा तरीका है। सरस्वती आरती एक हिंदू भक्ति गीत है जो की प्रतिदिन सुबह और शाम को की जाती है।
Saraswati Puja | सरस्वती पूजा
वसंत पंचमी का उत्सव देवी को समर्पित है और इस दिन सरस्वती पूजा की जाती है। स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान में इसको मनाया जाता है। इस दिन छात्र देवी की पूजा करते है और ज्ञान और परीक्षा में सफलता के लिए प्रार्थना करते हैं। देवी सरस्वती को संगीत और कला की देवी भी माना जाता है, जिस वजह से संगीत या कला सिखने से पहले देवी की पूजा की जाती है।
Saraswati Mata Ki Aarti | सरस्वती माता की आरती
ॐ जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता
सद्गुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता
जय जय सरस्वती माता
चन्द्रवदनि पद्मासिनी द्युति मंगल कारि
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेज धारी
जय जय सरस्वती माता
बाए कर में वीणा, दाए कर माला
शीश मुकुट मणि शोहे, गले मोती माला
जय जय सरस्वती माता
देवी शरण जो आये, उनका उद्धार किया
बैठी मंथरा दासी, रावन संहार किया
जय जय सरस्वती माता
विद्या ज्ञान प्रदायिनी, जग में ज्ञान प्रकाश भरो
मोह और अग्यान तिमिर का जग से नाश करो
जय जय सरस्वती माता
धूप दीप फल मेवा, मन स्विकार करो
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो
जय जय सरस्वती माता
माँ सरस्वती जी की आरती जो कोई नर दे
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे
जय जय सरस्वती माता
हिंदू संस्कृति में सरस्वती पूजा का बहुत महत्व है। खास कर बसंत पंचमी के दिन देवी का दिन होता है, जो की विभिन्न रीति-रिवाजों और संस्कारों के साथ मनाया जाता है। ज्ञान और शिक्षा ग्रहण करने से पहले देवी सरस्वती की पूजा करना अनिवार्य माना जाता है।
माघ मास के पांचवें दिन बसंत पंचमी को मनाया जाता है और ज्ञान के लिए प्रार्थना की जाती है। इस प्रकार, सरस्वती पूजा हिंदुओं के लिए अत्यधिक महत्व रखती है.